Ek nayi umeed

Thursday 28 February 2013

Girls are the spirit of our nation, save them and stop their exploitation.

                                  



 भ्रूण हत्या एक ऐसा अपराध है जो दिन - प्रतिदिन बड़ते जा रहा है और हमारे समाज को गन्दा करते जा रहा है भारत में कई शहर ,कई गाँव और कई कसबे ऐसे हैं जहाँ इस अपराध को रहस्यमय तरीके से अंजाम दिया जाता है .वो डॉक्टर जिसे भगवान का रूप समझा जाता है और जो किसी को जिंदगी देता है वो थोड़े से पैसों के लालच में ऐसा घृणित कार्य कर रहा है और तो और एक माँ -बाप खुद अपनी बच्ची जिसने इस धरती पर कदम तक नहीं रखा है उसे मार डालते है इसलिए वो माँ -बाप भी उतने ही दोषी है जितना वो डॉक्टर है आज देश में कन्याओं की संख्या पुरषों से औसतन निरंतर कम हो रही है यदि आज भी समाज जागृत नहीं हुआ तो एक दिन पुरषों की तुलना में स्त्रियों के कमी के कारण समाज निश्चित तोर पर असंतुलित हो जायेगा इस लिए ऐसे समाज के डॉक्टर को शख्त से शख्त सजा दिलानी चाहिए तथा ऐसे माँ - बाप पर भी कानूनी कार्यवाही कर हत्या का केश दर्ज करना चाहिए .मैं हमेशा यह सोचती हूँ कि क्यूँ ऐसा होता है कि हर आदमी को एक माँ , पत्नी और बहन की जरुरत होती है लेकिन कभी भी उसे एक बेटी की जरुरत क्यूँ नहीं होती है . हमारी सरकार हर बार प्रचार -प्रसार करके लोगों को जागरूक करने की कोशिश करती है कि लोग इस अपराध को नहीं करे या फिर इस अपराध को होने से रोके लेकिन फिर भी .हर बार इस अपराध को नजरअंदाज किया जाता है इसका परिणाम यह है कि यह अपराध समाज में बढता जा रहा है एक बेटी अपनी माँ से गुहार लगाती है कि "माँ मुझे इस धरती पर कदम रखने दो ,मुझे इस दुनिया को देखने दो ,मैं जिना चाहती हूँ और आप लोगों का नाम रोशन करना चाहती हूँ मुझे एक मौका तो दे दो ,मुझे मत मारो माँ .मुझे मत मारों" लेकिन फिर भी वो माँ अपनी गर्भ में पल रही बेटी की आवाज को नजरअंदाज कर देती है और उसे मौत के घाट उतार देती है एक वो समाज है जहाँ बेटियों के जन्म पर उतनी ही ख़ुशी मनाई जाती है जितना की बेटों के जन्म पर और उसकी दूसरी तरफ एक ऐसा समाज है जहाँ बेटियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है इससे पहले की यह अपराध बढ़ता ही चला जाये आइये हम सब मिलकर इस अपराध को ख़त्म कर दे ताकि कोई भी इस अपराध को करने की सोच भी नहीं सके ............................

Thursday 21 February 2013

Oppression of women growing up...........

हमारी सरकार जो महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे रही है यह सब दिखावटी लगता है क्यूंकि आज भी महिलाएं न्याय मांगने के लिए दर -दर भटक रहीं हैं दिल्ली के गैंगरेप की घटना के बाद जब यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अब  ऐसी कोई और घटना नहीं होगी तो तभी हरियाणा ,उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड जैसे राज्यों में दसों ऐसे ही घटनाये सामने आई और इतने घटनाओं के बाद भी हमारी सरकार नींद से नहीं जागी .हमारी सरकार हर बार कुछ न कुछ ऐलान करतीं है लेकिन कभी उन ऐलानों को पूरा नहीं करती हैं संसद में नेता हर बार  अपने सविधानो में संसोधन  की बात करते  हैं  और संसद का समय बर्बाद करते हैं लेकिन कभी उन्होंने इस पर विचार नहीं किया कि बलात्कारियों की सजा  फांसी में बदल देनी चाहिए ताकि इस तरह की घटना नहीं हो. लेकिन वो कभी इन घटनाओं पर विचार नहीं करेंगे क्यूंकि हमारे देश में कई ऐसे नेता  हैं जिन पर यौन -उत्पीडन का मुकदमा चल रहा है जिस देश में महिलाओं को देवियों का रूप समझा जाता है वहीँ उन देवियों के साथ ऐसी घटनाएँ होती हैं कई लोग कहते हैं कि यह घटनाएँ इसलिए हो रहीं हैं क्यूंकि लडकियां छोटे कपडे पहनती हैं लेकिन मैं पूछती हूँ उन सब से कि जो देहरादून में  अस्सी वर्षीय विधवा औरत का बलात्कार  हुआ  था तो क्या उस औरत ने छोटे कपडे पहने थे और तो और जो आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ तो क्या उसने छोटे कपडे पहने थे .मैं उन लोगों से जिनकी सोच ऐसी है उनसे कहना चाहूंगी कि महिलाओं के कपड़ो को बदलने के बजाय अगर आप लोग उन पुरषों की सोच को बदलोगे तो ज्यादा  अच्छा होगा . कुछ समय पहले मैंने एक पत्रिका में पढ़ा था कि उत्तराखंड के सीएम विजय बहुगुणा ने ऐलान किया है कि महिलायें शाम के छह के बाद घर से बाहार नहीं निकलेंगी मैं बहुगुणा जी से यह पूछना चाहती हूँ कि क्यूँ हर बार  की तरह किसी और की गलती की सजा किसी  और को मिलेगी क्यूँ महिलाओं के बजाय पुरषों को   छह बजे के बाद बाहर जाने के लिए मना नहीं किया गया सोच गन्दी उन पुरषों की हैं किसी को घर पर रहना चाहिए  तो उन पुरषों को  जिनके दिमाग में दरिंदगी भरी है कबतक महिलाएं पुरषों के अत्याचारों को सहती रहेंगी ,कबतक पुरषों की सजा महिलाओं को मिलती रहेगी और कबतक ऐसे बलात्कारी खुलेआम देश में घुमते रहेंगे ....जब इन सब सवालों का जवाब मिल जायेगा तो शायद  तभी हम सब की तरफ से दामनी को सच्ची श्रधांजलि मिलेगी .................