हमारी सरकार जो महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे रही है यह सब दिखावटी लगता है क्यूंकि आज भी महिलाएं न्याय मांगने के लिए दर -दर भटक रहीं हैं दिल्ली के गैंगरेप की घटना के बाद जब यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अब ऐसी कोई और घटना नहीं होगी तो तभी हरियाणा ,उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड जैसे राज्यों में दसों ऐसे ही घटनाये सामने आई और इतने घटनाओं के बाद भी हमारी सरकार नींद से नहीं जागी .हमारी सरकार हर बार कुछ न कुछ ऐलान करतीं है लेकिन कभी उन ऐलानों को पूरा नहीं करती हैं संसद में नेता हर बार अपने सविधानो में संसोधन की बात करते हैं और संसद का समय बर्बाद करते हैं लेकिन कभी उन्होंने इस पर विचार नहीं किया कि बलात्कारियों की सजा फांसी में बदल देनी चाहिए ताकि इस तरह की घटना नहीं हो. लेकिन वो कभी इन घटनाओं पर विचार नहीं करेंगे क्यूंकि हमारे देश में कई ऐसे नेता हैं जिन पर यौन -उत्पीडन का मुकदमा चल रहा है जिस देश में महिलाओं को देवियों का रूप समझा जाता है वहीँ उन देवियों के साथ ऐसी घटनाएँ होती हैं कई लोग कहते हैं कि यह घटनाएँ इसलिए हो रहीं हैं क्यूंकि लडकियां छोटे कपडे पहनती हैं लेकिन मैं पूछती हूँ उन सब से कि जो देहरादून में अस्सी वर्षीय विधवा औरत का बलात्कार हुआ था तो क्या उस औरत ने छोटे कपडे पहने थे और तो और जो आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ तो क्या उसने छोटे कपडे पहने थे .मैं उन लोगों से जिनकी सोच ऐसी है उनसे कहना चाहूंगी कि महिलाओं के कपड़ो को बदलने के बजाय अगर आप लोग उन पुरषों की सोच को बदलोगे तो ज्यादा अच्छा होगा . कुछ समय पहले मैंने एक पत्रिका में पढ़ा था कि उत्तराखंड के सीएम विजय बहुगुणा ने ऐलान किया है कि महिलायें शाम के छह के बाद घर से बाहार नहीं निकलेंगी मैं बहुगुणा जी से यह पूछना चाहती हूँ कि क्यूँ हर बार की तरह किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलेगी क्यूँ महिलाओं के बजाय पुरषों को छह बजे के बाद बाहर जाने के लिए मना नहीं किया गया सोच गन्दी उन पुरषों की हैं किसी को घर पर रहना चाहिए तो उन पुरषों को जिनके दिमाग में दरिंदगी भरी है कबतक महिलाएं पुरषों के अत्याचारों को सहती रहेंगी ,कबतक पुरषों की सजा महिलाओं को मिलती रहेगी और कबतक ऐसे बलात्कारी खुलेआम देश में घुमते रहेंगे ....जब इन सब सवालों का जवाब मिल जायेगा तो शायद तभी हम सब की तरफ से दामनी को सच्ची श्रधांजलि मिलेगी .................
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