सीओ हत्याकांड .............
अखिलेश यादव ने करीब साल भर पहले जब सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी तब उम्मीद की गयी थी कि वह क़ानून व्यवस्था के लिए बदनाम रही समाजवादी पार्टी की पिछली सरकारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे A मगर कुछ दिन पहले प्रतापगढ़ में हुए खुनी संघर्ष यह बताने के लिए काफी है कि देश के सबसे बड़े प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं है .अपने गुंडागर्दी और अपराधिक पृष्टभूमि के लिए बदनाम पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ रजा भय्या ने भले ही मंत्री मंडल से स्थिपा दे दिया हो और भले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हो मगर ये हकीकत नहीं झूट लायी जा सकती कि कुंडा में जिन लोगों के बीच संघर्ष हुआ और जिनमे एक प्रधान और उसके भाई की हत्या कर दी गयी वे लोग सत्तारूड़ सपा और राजा भय्या के करीबी लोग थे उनसे टकराने की कीमत जांबांज डी.एस.पी जियाउलहक़ को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है हकीकत ये है की प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल होती जा रही है ऐसे कई मामले सामने आये. एक तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि सीओ हत्याकांड में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी कारण चाहे रंजिश हो या कुछ और .खून खराबे की घटना नहीं होनी चाहिए हमारी सरकार इस तरह बर्दाश नहीं करेंगी वहीँ दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का कहना है कि हर बार सपा की सरकार में गुंडा राज होता है और इसके लिए राष्ट्रपति शासन का लागु होना जरुरी है A दोनों सरकार एक दुसरे के ऊपर आरोप लगा रही है आखिर यह उत्तर प्रदेश की बदकिस्मती ही है कि सरकार किसी की भी हो उसमे कुछ ऐसे चेहरे शामिल हो जाते है जो खुद ही कानून व्यवस्थता के लिए समस्या बने रहते है इस घटना से पूरी उत्तर प्रदेश में ये डर आ गया है कि जब उत्तर प्रदेश की प्रशासन ही सुरक्षित नहीं है तो प्रदेश के लोग कैसे सुरक्षित रहेंगेA इस बारे में तमाम राजनितिक जनों को जरुर सोचना चाहिए A
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